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लेखनी कहानी -01-Aug-2023 वो हमसफ़र था, एपिसोड 41

अभिनव अब अच्छा महसूस कर रहा था,,, उसके हाथ पर पट्टी बंधी हुई थी,, अभीर उसे अपनी गाड़ी में बैठा लेता है,, मारथा अभीर को अभिनव का ख्याल रखते देख ख़ुश हो रही थी।

अभिनव,,, अभीर के साथ आगे वाली सीट पर बैठ जाता है, अभीर ने तो उसे आराम से लेट कर जाने के लिए पीछे बैठने को कहा,,, लेकिन वो नही माना और आगे ही बैठ गया, उसके बाद दोनों वहाँ से चले गए

आधे रास्ते तक ज़ब अभीर ने हंशल के घर जाने के लिए रास्ता नही बदला तब अभिनव ही बोल पड़ा " क्या बात है,,, हंशल को नही लेना आज"

"नही,, उसने मना,, कर दिया था,,, वो पहुंच गया होगा या पहुंचने वाला होगा " अभीर ने कहा

"अच्छा,,, बड़े ताज्जुब की बात है,,, उसने आज तेरा साथ नही लिया,,, कुछ अजीब नही लग रहा है " अभिनव ने थोड़ा उकसाते हुए कहा।

"नही,,, ऐसी कोई बात नही है,,, दरअसल वो कोई सरप्राइज प्लेन कर रहा है,,, उसी के लिए शायद वो अकेला ही चला गया कॉलेज,,, बस " अभीर ने कहा।

"केसा प्लान,,, केसा सरप्राइज कुछ बताया नही उसने तुझे,,, वो तो तेरा दोस्त है,,, दोस्तों में बातें कहा छिपाते है,,," अभिनव ने तंस करते हुए कहा।

"शायद कोई गिफ्ट खरीदना हो उसे मेरे लिए या तेरे लिए,, बोल तो रहा हूँ सरप्राइज है,,, अब अगर सरप्राइज भी दोस्तों के साथ साँझा किया जाने लगा तो वो सरप्राइज कैसे रहेगा,, तू ही सोच " अभीर ने कहा।

"ठीक है,,, तू कहता है तो मान लेता हूँ,,, लेकिन तुझे क्यूँ लगता है कि सरप्राइज का मतलब गिफ्ट ही होगा,, जो कि तेरे लिए होगा,, क्या पता वो किसी से प्यार करता हो और आज उससे इजहार करने वाला हो,,?"अभिनव ने कहा अभीर की प्रतिकिर्या देखने के लिए

"प्यार,,, मुझे नही लगता,,, ऐसा वैसा कुछ होगा,,, अगर ऐसा होता तो क्या वो मुझसे छिपाता,,, नही,,, मैं नही मानता,, कि हंशल किसी लड़की से प्यार करता है,,, और उसे प्रोपोज़ करेगा,,, इम्पॉसिबल " अभीर ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

"तुझे कुछ ज्यादा ही अंधा भरोसा नही है, अपने दोस्त पर,, और प्यार करने में कौन सी बड़ी बात है,,, आखिर कार वो एक लड़का है,,, उसे भी अपने जीवन साथी को चुनने का हक़ है,, और जरूरी तो नही कि इंसान अपनी हर बात अपने दोस्त के साथ साँझा करें,,, क्या पता उसने सीक्रेट रखा हो,,, और आज बताने वाला हो " अभिनव ने अभीर के दिल का हाल जानने की कोशिश करते हुए ये बात कही

जिसे सुन अभीर बोला " हो सकता है,,, कि शायद वो किसी को पसंद करता हो,,,, लेकिन अगर ऐसा कुछ होता तो वो मुझे जरूर बताता,,, आखिर कार मैं भी तो उसे सब कुछ बताता हूँ,, "

उसकी बात सुन अभिनव बोला " अच्छी बात है,,, लेकिन फर्ज कर आज कुछ ऐसा ही हो जाए जैसा मैं बोल रहा हूँ,,, वो किसी लड़की के सामने उससे अपने प्यार का इजहार कर दे,,, तब तू क्या करेगा? "

"करना क्या है,,, उस समय तो उसकी ख़ुशी में खुश हो जाऊंगा अगर उसका प्यार नया नया होगा या एक तरफा होगा जिसे वो आज उस लड़की के सामने रखेगा तब तो कुछ नही कहूंगा,,, लेकिन हाँ अगर मुझे पता चला की उसके मन में उस लड़की के लिए प्यार पहले से है और तो और वो उस लड़की से मिलता भी था या यूं कहे वो लड़की भी उसे पसंद करती है,,, तब उसकी शामत मेरे हाथों से आएगी,,, फिर उसे कोई भी नही बचा पायेगा,, मेरे हाथों से " अभीर ने कहा।

"उसके बाद,,, उसके बाद तू क्या करेगा?" अभिनव ने पूछा

"ज्यादा कुछ नही,,, उसके पीछे का कारण पूछूँगा कि आखिर इतनी बड़ी बात उसने मुझसे क्यूँ छिपायी अगर कोई ठोस वजह रही होगी तो माफ कर दूंगा आखिर दोस्त है मेरा,, क्या कर सकता हूँ,,? " अभीर ने कहा।

"बस,,, माफ,,, और ज्यादा कुछ नही " अभिनव ने कहा।

"क्या मतलब इस बात से?,, उसकी जान थोड़ी ले लूँगा,,, अपने प्यार की बात छिपाने की वजह से,,,लेकिन तू इस तरह क्यूँ पूछ रहा है? ऐसा वैसा कुछ नही होने वाला,,, मैं जानता हूँ उसे,,, वो इन मामलो से दूर ही रहता है,,," अभीर ने कहा।

"अच्छी बात है,,, मैं तो बस यूं ही कह रहा था,,, अच्छा तूने भी कोई सरप्राइज प्लेन किया है क्या,,, कल मैंने सुना हंशल तेरे बारे में भी कुछ बता रहा था,,, तो क्या तूने भी उसे नही बताया कि तू क्या करने वाला है?" अभिनव ने कहा अभीर की तरफ देखते हुए।

उसके मूंह से सरप्राइज वाली बात सुन, अभीर थोड़ा घबराया और बोला " हाँ है कुछ,,, जो कॉलेज चल कर ही बताऊंगा, और हाँ हंशल मुझे अपने सरप्राइज के बारे में बताये या ना बताये लेकिन मैं उसे पहले ही बता दूंगा,,, क्यूंकि मुझे उसकी मदद चाहिए होगी इसलिए उसे पता होना चाहिए "

"ऐसा भी क्या है? क्या मैं तेरी मदद नही कर सकता,,,? तू चाहे तो मुझे बता सकता है ":अभिनव ने सब कुछ जानते हुए अभीर के मूंह से सुनने के लिए ऐसा कहा।

अभीर ने थोड़ी देर सोचा और बोला " ठीक है बताता हूँ,,, पर किसी को बताना नही "

ये कहते हुए, अभीर के चेहरे पर मुस्कान थी,, जिसे देख अभिनव बोला " क्या बात है,,, ये मुस्कान मुझे कुछ अजीब लग रही है,,, सब ठीक तो है "

इस समय वो दोनों कुछ ज्यादा ही करीब हो गए थे,,, इससे पहले वो कभी नही हुए,,, दरअसल ये सब अभिनव की एक चाल थी,,, खुद को स्वीट बनाने की और अपने भाई का हमदर्द बनने की,,, क्यूंकि जो कुछ आगे होने वाला था उसमे उसे ही तो मीठी छुरी बन कर हंशल और अभीर की दोस्ती को दुश्मनी में बदलना था,,, एक फूल के लिए दो मालियों को आपस में लड़ाना ही तो उसका असल मकसद था,,, अब इस काम के लिए अगर उसे अपने दुश्मन समान भाई का हमदर्द बनना पड़ जाए तो क्या ही बुराई है,,, दोस्त के हाथों ही दोस्त का घर तबाह करने में कौन सी बुराई है,, और दोस्त भी ऐसा जिसकी वजह से अभीर ने उसे कुछ समझा ही नही,,, जो रिश्ता उसका उसके साथ होना चाहिए था वो एक गैर के साथ था

"हाँ,,, हाँ सब ठीक है,,, जरा वो डेश बोर्ड खोलना,,, देखो वहाँ एक बॉक्स रखा है,,, निकाल कर मुझे दो " अभीर ने कहा, अभिनव के पास बने डेश बोर्ड की तरफ इशारा करते हुए

"हाँ,,, हाँ क्यूँ नही? " अभिनव ने कहा और डेश बोर्ड खोल कर उसमे रखा एक छोटा सा डब्बा अपने हाथ में लेकर अभीर की तरफ दिया,,, अभीर जो की गाड़ी चला रहा था,,, उसे उस डब्बे को खोलने का कहता है

अभिनव डब्बा खोल कर उसमे रखी अंगूठी को देख कहता है " ये तो अंगूठी है "

"हाँ,, अंगूठी है,,, मेरी माँ की,,, लेकिन आज ये मैं किसी और को देने वाला हूँ " अभीर ने कहा थोड़ा शरमाते हुए

उसे इस तरह कहते और शर्माते देख अभिनव बोल पड़ा " बस,,, अब कुछ मत कहना,,, मैं समझ गया हूँ,,, इसका मतलब वो सरप्राइज ये है की तुम किसी से प्यार करते हो "

अभीर ने हाँ में गर्दन हिलाई

उसे हाँ में गर्दन हिलाते देख,,, अभिनव ने झूठ मूठ की ख़ुशी जाहिर की और अभीर को गले लगा लिया,,, अभीर जो की गाड़ी चला रहा था,,, अभिनव को इस तरह खुश और गले लगते देख उसे बहुत अच्छा लगा,,, अभिनव का बदलता व्यवहार उसे अच्छा लग रहा था और वो थोड़ा शर्मिंदा भी हो रहा था,,, और थोड़ा सोच विचार भी कर रहा था कि आखिर अभिनव इस तरह बदला हुआ व्यवहार क्यूँ कर रहा है

लेकिन उसे ख़ुशी थी कि अभिनव उसकी ख़ुशी में खुश था,,, उसने उसे बताया कि वो लड़की हनिश्का है,,, जिसे वो आज अपने दिल की बात कहने वाला है,,, उसका अरमान तो ये है कि सबके सामने अपने प्यार का इजहार करे ये अंगूठी देकर,, लेकिन उसे डर है कि कही हनिश्का मना न करदे इसलिए वो उसे सबके सामने न कहकर हंशल की मदद से उसे अकेले में ले जाकर कहेगा, क्यूंकि हंशल और उसकी थोड़ी अच्छी बात चीत है

"ये तो बहुत अच्छी बात है,,, मुझे ख़ुशी है कि तूने मुझे अपने दिल की बात बताई,,, वो भी सबसे पहले,,, आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है,,, सही में आज बिलकुल कजिन वाली फीलिंग्स आ रही है, जिस तरह कजिन एक दुसरे को अपनी बात बताते है उसी तरह तूने भी बताई मैं कोशिश करूँगा की हमारा रिश्ता थोड़ा सुधर जाए,, मैं भी अपनी आदतों में बदलाव लाऊंगा " अभिनव ने कहा थोड़ा खुद को झुकाते हुए।

अभीर को उसकी बात सुन अच्छा लगा,,, वो मुस्कुरा कर बोला " मैं भी कोशिश करूँगा,,, कि आगे से हम दोनों के बीच जो भी गलत फेहमीया है दूर होती रहे "

इसी तरह कॉलेज आ गया था,,, सब बच्चें कॉलेज पहुंच चुके थे,,, अभी शाम के चार बज चुके थे,,, सारी तैयारियां जोरो शोरो पर थी,,, हंशल, हनिश्का,, संध्या,,, और भी सब लोग वहाँ पहुंच चुके थे,,, सबने थीम के अकॉर्डिंग ही कपड़े पहने थे,,, अभीर की निगाहेँ हनिश्का को ढूंढ रही थी जबकी हंशल हनिश्का से पहले ही मिल चुका था, हनिश्का मेहरून रंग की साड़ी में अच्छी लग रही थी,,, बाकी लड़कों ने सबने ब्लैक आउटफिट पहन रखा था

सबके चहरे पर ख़ुशी भी थी और एक दुसरे से जुदा होने का दुख भी,,, अभिनव भी अपने दोस्तों के पास था,,, सब लोग उसके बारे में पूछ रहे थे,,, उसका हाथ केसा है और तो और उसे चोट कैसे लगी अभिनव तो जवाब दे देकर थक गया था,,,

हंशल जो की तैयारी में लगा हुआ था, अब बस कुछ देर और थी ज़ब वो हनिश्का को शादी के लिए प्रोपोज़ करने वाला था,, वो बहुत नर्वस लग रहा था, माना की वो इजहार - ए - मोहब्बत नही करने वाला था लेकिन फिर भी एक डर सा था उसे कि सब लोग किस तरह रियेक्ट करेंगे खास कर अभीर,, अभीर जो कि हंशल से कई बार मिलने की कोशिश कर चुका था ताकि उसे बता सके अपने सरप्राइज के बारे में लेकिन फेयरवेल की सारी तैयारी का जिम्मा उसी के सर था इसलिए वो जैसे ही हंशल के पास जाता कोई न कोई उसे बुला ले जाता, अब बस कुछ देर और थी शाम होने में उसके बाद पार्टी शुरू हो जाती

अभिनव,,, जिसके दिमाग़ ये चल रहा था कि अभीर और हंशल पार्टी से पहले मिल ना पाए क्यूंकि अगर ऐसा हुआ तो अभीर उसे बता देगा कि वो हनिश्का से प्यार करता है और उसे बताना चाहता है, अगर ऐसा हुआ तो हंशल उसे खुद बता देगा जो कि उसके लिए अच्छा नही होगा,,,, जिस तरह का हंगामा वो देखना चाहता है,,, वो नही मिलेगा इसलिए अभिनव की यही कोशिश थी कि अभीर और हंशल मिल नही पाए

हंशल थोड़ा बाहर आया था जरूरी काम से,,, तब ही उसकी नजर एक जाने पहचाने चहरे पर गयी,,, जिसे देख उसके चेहरे पर मुस्कान उभर आयी और थोड़ा सोच में भी पड़ गया

आखिर कौन आया था वहाँ,, जानने के लिए पढ़ते रहिये

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